- 🌿 जैव विविधता क्या है?
- 🏡 आवास (Habitat)
- 🔄 अनुकूलन (Adaptation)
- 🗂 समूहीकरण क्या है?
- 🌊 जलीय जीव और पौधे
- 🌍 स्थलीय आवास
- 🐸 उभयचर (Amphibians)
- 🌱 पौधों का विभाजन (आकार और तने के आधार पर)
- 🌿 जड़ें (Roots)
- 🍃 पत्तियों का शिरा-विन्यास
- 🌾 बीजपत्र (Cotyledon)
- 🌳 पवित्र उपवन (Sacred Groves)
- 🌎 जैव विविधता का महत्व
- ❗ हमें जैव विविधता क्यों बचानी चाहिए?
- 🌨️ ठंडे पर्वतीय क्षेत्रों में पौधों की विशेषताएँ
- 🌍 विभिन्न क्षेत्रों की जैव विविधता अलग क्यों?
- 🐪 गरम मरुस्थल बनाम ठंडा मरुस्थल — ऊँटों में अंतर
- 🐪➡️🐪 दोनों ऊँटों में अंतर (सारणी)
- 🌟 ऊँटों की अन्य सहायक विशेषताएँ
🌿 जैव विविधता क्या है?
किसी क्षेत्र में पाए जाने वाले अलग-अलग तरह के पौधे और जानवर मिलकर उस जगह की जैव विविधता बनाते हैं।
हर जीव अपने आस-पास के वातावरण से भोजन, पानी, हवा और रहने की जगह प्राप्त करता है।
🏡 आवास (Habitat)
जिस वातावरण में कोई जीव अपना जीवन बिताता है, उसे उसका आवास कहते हैं।
यह जीव के लिए भोजन, सुरक्षा और रहने की जगह प्रदान करता है।
🔄 अनुकूलन (Adaptation)
पौधों और जानवरों में कुछ ऐसे गुण होते हैं जो उन्हें अपने माहौल में जीवित रहने में मदद करते हैं। इन्हें अनुकूलन कहा जाता है।
उदाहरण:
ऊँट – लंबे पैर, बहुत कम पानी की आवश्यकता, सूखा मल और पसीना न आना
मछली – धारा रेखीय शरीर, शल्क, और साँस लेने के लिए गलफड़े
🗂 समूहीकरण क्या है?
जिन पौधों और जंतुओं की विशेषताएँ एक जैसी होती हैं उन्हें एक ही समूह में रखा जाता है।
इस प्रक्रिया को समूह बनाना या वर्गीकरण कहते हैं।
🌊 जलीय जीव और पौधे
जो जीव पानी में रहते हैं उन्हें जलीय जीव कहते हैं।
इनका आवास जलीय आवास कहलाता है।
उदाहरण:
जीव: मछली, व्हेल, शार्क, मेंढक
पौधे: कमल, जलकुंभ, वॉटर लिली
🌍 स्थलीय आवास
जो जीव धरती पर रहते हैं उनका घर स्थलीय आवास कहलाता है।
उदाहरण (स्थलीय आवास के प्रकार):
- वन
- घास के मैदान
- मरुस्थल
- पहाड़
- तटीय क्षेत्र
🐸 उभयचर (Amphibians)
जंतुओं का वह समूह जो पानी और जमीन, दोनों जगह रह सकते हैं, उभयचर कहलाता है।
जैसे: मेंढक, मगरमच्छ आदि।
🌱 पौधों का विभाजन (आकार और तने के आधार पर)
1️⃣ शाक (Herbs)
छोटे, हरे और मुलायम तने
जैसे: टमाटर
2️⃣ झाड़ी (Shrubs)
कई शाखाएँ
तना कठोर लेकिन पतला
जैसे: गुलाब
3️⃣ वृक्ष (Trees)
बहुत ऊँचे
तना मजबूत और लकड़ी जैसा
जैसे: आम का पेड़
4️⃣ लता (Climbers)
तना कमजोर, सहारे की जरूरत
जैसे: मनी प्लांट
5️⃣ भूमिपत्री (Creepers)
जमीन पर फैलते हैं
जैसे: कद्दू
🌿 जड़ें (Roots)
✔ जड़ों के कार्य
पौधे को मिट्टी में पकड़कर रखना
पानी और खनिजों का अवशोषण
✔ जड़ों के प्रकार
मूसला जड़ (Tap Root)
एक मोटी मुख्य जड़
छोटी पार्श्व जड़ें
रेशेदार जड़ (Fibrous Root)
समान पतली जड़ों का गुच्छा
मुख्य जड़ नहीं होती
🍃 पत्तियों का शिरा-विन्यास
✔ शिराएँ – पत्ती पर दिखने वाली लकीरें
✔ मध्य शिरा – बीच वाली मोटी शिरा
✔ शिरा-विन्यास – शिराओं का पैटर्न
जालाकार शिरा-विन्यास (Reticulate)
जाल जैसा पैटर्न
जैसे: गड़हल
समांतर शिरा-विन्यास (Parallel)
सीधी और समानांतर शिराएँ
जैसे: घास
🌾 बीजपत्र (Cotyledon)
बीज में मौजूद भाग जो पौधे को भोजन देता है।
✔ एकबीजपत्री पौधे (Monocot)
बीज में 1 बीजपत्र
जैसे: मक्का, चावल
✔ द्विबीजपत्री पौधे (Dicot)
बीज में 2 बीजपत्र
जैसे: मटर, मूँगफली
🌳 पवित्र उपवन (Sacred Groves)
कई जगहों पर लोग धार्मिक और औषधीय महत्व के कारण वन क्षेत्र सुरक्षित रखते हैं।
इन्हें पवित्र उपवन कहा जाता है।
जैसे: अरावली क्षेत्र, बस्तर (म. प्र.)
🌎 जैव विविधता का महत्व
पृथ्वी पर जीवन का संतुलन बनाए रखती है।
पौधे भोजन और आश्रय देते हैं।
जंतु बीज फैलाने में मदद करते हैं।
सभी जीव एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
❗ हमें जैव विविधता क्यों बचानी चाहिए?
ताकि पौधे और जंतु सुरक्षित रहें
पर्यावरण संतुलित रहे
पृथ्वी जीवन से भरपूर बनी रहे
🌨️ ठंडे पर्वतीय क्षेत्रों में पौधों की विशेषताएँ
बहुत ठंडे पहाड़ी क्षेत्रों में भारी हिमपात होता है। ❄️🏔️
ऐसे क्षेत्रों में पेड़ों की ऐसी बनावट होती है कि बर्फ उन पर टिक नहीं सकती।
देवदार के वृक्ष इसके अच्छे उदाहरण हैं। 🌲
मुख्य विशेषताएँ:
- ✔ शंक्वाकार आकार – बर्फ नीचे फिसल जाती है।
- ✔ नीचे झुकी शाखाएँ – बर्फ रुकती नहीं।
👉 ये गुण देवदार को ठंड में जीवित रहने में मदद करते हैं।
🌍 विभिन्न क्षेत्रों की जैव विविधता अलग क्यों?
- हर क्षेत्र की जलवायु अलग होती है।
- पानी, तापमान और मिट्टी की मात्रा भिन्न होती है।
- जीव अपने परिवेश के अनुसार अनुकूलन विकसित करते हैं।
- ✔ मरुस्थल के जीव अलग
- ✔ पर्वतीय क्षेत्र के जीव अलग
🐪 गरम मरुस्थल बनाम ठंडा मरुस्थल — ऊँटों में अंतर
🏜️ राजस्थान के गरम मरुस्थल के ऊँट
- लंबे पैर — गर्म रेत से शरीर दूर रखने के लिए
- चौड़े खुर — रेत में पैर न धँसे
- एक कूबड़ — भोजन/वसा संग्रह
- बहुत कम पसीना, सूखा गोबर, कम मूत्र — पानी की बचत
👉 इसलिए ये ऊँट कई दिनों तक बिना पानी के भी जीवित रह सकते हैं।
❄️🏔️ लद्दाख के ठंडे मरुस्थल के ऊँट (Bactrian Camel)
- छोटे पैर — पहाड़ी भूमि पर चलने के लिए
- दो कूबड़ — अधिक भोजन संग्रह
- बहुत लंबे बाल — ठंड से बचाव
- कूबड़ सर्दियों में छोटा हो जाता है (भोजन उपयोग होने से)
🐪➡️🐪 दोनों ऊँटों में अंतर (सारणी)
| विशेषता | गरम मरुस्थल का ऊँट | ठंडे मरुस्थल का ऊँट |
|---|---|---|
| पैर | लंबे | छोटे |
| कूबड़ | 1 | 2 |
| बाल | छोटे | बहुत लंबे |
| रहने का क्षेत्र | राजस्थान | लद्दाख |
| फायदा | गर्म रेत व धूप में चलना | बर्फीले ठंडे पहाड़ में चलना |
🌟 ऊँटों की अन्य सहायक विशेषताएँ
- बहुत कम पानी की आवश्यकता
- शरीर से पसीना नहीं आता — पानी की हानि कम
- गोबर सख्त — पानी की बचत
- कम मूत्र — पानी की रक्षा
👉 इसलिए ऊँट मरुस्थल का सबसे उपयुक्त जीव है।
